आजादी के वीर सपूत
आजादी के वीर सपूत
जब वतन पर हैवानों की नज़र पड़ती है, तब भारत माँ के वीर पुत्र,
गुलामी की बेड़ियों से मुक्त कराने राष्ट्र को युद्ध की हुंकार भरते हैं।
मेरे देश के वीर सपूत दुश्मनों से लड़ने को हर कद़म सजग रहते हैं,
भारत माँ के क्रांति वीरों की स्वर्णिम गाथा, इतिहास के पन्ने कहते हैं।
वतन की सौंधी मिट्टी को आजाद कराने सिर पर कफन ओढ़े रहते हैं।
हिमालय की शीत लहर में भी सरहद पर वो अडिग रह सब सहते हैं।
मर मिटने की कसम खा अपने वतन की ख़ातिर अपनों से दूर रहते हैं,
दर्द उनके सीने में भी होता,पर दफ़न कर उसको मुँह से ना कहते हैं।
माँग रही बलिदान मिट्टी,रणभूमि तैयार है, लाशों की शैया बिछ गयी,
प्राण न्योछावर कर वतन की ख़ातिर वीर, भारत माँ की जय कहते हैं।