आजादी चाहिए
आजादी चाहिए


मजहब चाहे हज़ार हो ..पर ख़ुदा एक हो ,
ऎसी गलतफहमी में.. जीने वाली.. आबादी चाहिए !
मुल्क के वास्ते ..दो पल ज्यादा चले ,
इस कदर साँसे ...कामकाजी चाहिए !
मजहब, जाति, रंग, आकार, आकृति ...से जो हो परे ,
ऐसी भी देश मे.. एक शादी चाहिए !
कब तलक सीमा पर.. ढेर होते रहेंगे.. हमारे जवान ,
अब दुश्मन की भी होनी कुछ.. मेहमाननवाजी चाहिए !
मैं भले मर जाऊं ...पर मुल्क जीता रहे ,
ऐसी भी मुझे ...बर्बादी चाहिए !
यूँ तो मुल्क को आजाद हुए.. वर्षों हो गए 'विशाल' ,
पर अब भी कुछ है ..जिनसे हमें आज़ादी चाहिए !