कब्र के फूल
कब्र के फूल


कब्रों पे उगे रहे जब फूलों को देखा ,
लगा जैसे मौत में जिंदगी को देखा ।
बंद हो गयी जब खिलखिलाती बारिशें ,
मैंने तब जा के उसके आंसुओं को देखा ।
मंजिले जब भी रूठने लगी रास्तों से ,
दिमाग को हर रोज दिल को मनाते देखा ।
बदल गया जब उसका गुस्सा रोने में ,
तब मैंने जा के उसके दिल को देखा ।
यूँ ही नही छु रहा आज बुलंदियों को ,
तुम्हें पता नहीं मैंने कल क्या-क्या देखा ।