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Vishal Maurya

Abstract

4.3  

Vishal Maurya

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कब्र के फूल

कब्र के फूल

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कब्रों पे उगे रहे जब फूलों को देखा ,

लगा जैसे मौत में जिंदगी को देखा ।


बंद हो गयी जब खिलखिलाती बारिशें ,

मैंने तब जा के उसके आंसुओं को देखा ।


मंजिले जब भी रूठने लगी रास्तों से ,

दिमाग को हर रोज दिल को मनाते देखा ।


बदल गया जब उसका गुस्सा रोने में ,

तब मैंने जा के उसके दिल को देखा ।


यूँ ही नही छु रहा आज बुलंदियों को , 

तुम्हें पता नहीं मैंने कल क्या-क्या देखा ।



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