आज तुम हो कल भी तुम
आज तुम हो कल भी तुम


ख्याब चाहत के बुने, उनको अब मैं क्या बताऊँ
आज तुम हो कल भी तुम, मैं सदा ये ही सुनाऊँ।
भोर तक जागा प्रिये हूँ, लेके सुधियों को तुम्हारी
बोल ऐसा महफ़िलों में, तुमको जा में क्यों सताऊँ।
मेरी पदचापों के संग, चलता सदा साया तेरा
इससे बढ़कर जिंदगी में, तुझको साथी क्या पाऊँ।
आत्मा में मेरी तुम्हीं हो गीत की तुम स्याही हो
तुमसे अच्छा महफ़िलो में साथियाँ मैं क्या दिखाऊँ।
दिल मेरा कागज सा है, तुम भावों की स्याही प्रिये
पृष्ठ हो जाये ये सार्थक तू बता किसको बुलाऊँ।