आज सुर गा न सकेंगे संगीत
आज सुर गा न सकेंगे संगीत
अथ में अद्भुत
अंत में भरम
अनोखा परिचय
निशीथ की
विकल साँसों की
नहीं प्रात: से प्रेम
आर्द्र आँचल
निर्जल व्योम - जल
कितना सत्य
शस्य गीत की
नहीं सहेगी
प्रभंजन, शीत
प्रिय सरस सौरभ
कोमल अनुबंध
बाकी सभी शेष
दीप की लौ के
हर कंपकंपी में
सुर मेरे होंगे संगीत।।