आज फिर
आज फिर
गली से उनकी आज हम गुजरते है
पाँव मानो एक ही आहट सुनते है
काश ! वो हमे आज भी पुकार ले
दबे दबे अहसास हमारे आ के छू ले
बहुत इंतजार उन्होने करवाया है
आज फिर इश्क को इश्कने बुलाया है
तेरे दीदार पे आज भी हम तरसते है
तुम पे दिलचोरी का इल्जाम हम रखते है
मेरे हमदम की हर बात निराली है
उन्ही के संग सुबह और शाम बितानी है।

