Niketa Shah
Romance
बेवजह, बेइंतहा है
जो भी है
पर तुझ से इश्क यकीनन है
इश्क
आज फिर
कैसी हूँ
इश्क है
फोन उसका छीन कर भागा वह अंधेरी रात में। फोन उसका छीन कर भागा वह अंधेरी रात में।
जिसका घर मेरे ख्वाबों का जहान है, जिसका घर मेरे ख्वाबों का जहान है,
मैं किसी को याद नहीं करता दिल की गहराइयों से। मैं किसी को याद नहीं करता दिल की गहराइयों से।
मेरे दिलनशीं तो मुझसे कब के रूठे हुए हैं जाते जाते थोड़ा सा उनको मैं मनाता मेरे दिलनशीं तो मुझसे कब के रूठे हुए हैं जाते जाते थोड़ा सा उनको मैं मनाता
क्या कोई मेरी इस पीड़ा को पहचानेगा कितनी बार प्रभु से विनती करती , क्या कोई मेरी इस पीड़ा को पहचानेगा कितनी बार प्रभु से विनती करती ,
तुम्हारे कातिल नयनों ने किया था मुझे घायल तुम्हारे कातिल नयनों ने किया था मुझे घायल
अंग कहूँ या संग कहूँ, जब भी कहूँ हर पल कहूँ। अंग कहूँ या संग कहूँ, जब भी कहूँ हर पल कहूँ।
भीगी पलकों से गया था वह अलविदा कहकर। भीगी पलकों से गया था वह अलविदा कहकर।
क्या इस उम्र के रुकने की है कोई तरकीब ये तारीखों के जाले में जो बंधा है नसीब। क्या इस उम्र के रुकने की है कोई तरकीब ये तारीखों के जाले में जो बंधा है नसीब।
या बीच कहीं ठहर जाएगी पानी के अभाव से या बीच कहीं ठहर जाएगी पानी के अभाव से
तुझे एक लिखूं या हज़ार लिखूं, तू कहे तो तुझे लाख बार लिखूं। तुझे एक लिखूं या हज़ार लिखूं, तू कहे तो तुझे लाख बार लिखूं।
मेरे पास शब्द थे, पर साहस नहीं, और उसके पास ख़ामोशी थी, मेरे पास शब्द थे, पर साहस नहीं, और उसके पास ख़ामोशी थी,
कभी लौट आ, फिर से वो सफर हम शुरू करेंगे। कभी लौट आ, फिर से वो सफर हम शुरू करेंगे।
तू ही है जो हर दर्द को, अपनी गोद में भर लेती है, तू ही है जो हर दर्द को, अपनी गोद में भर लेती है,
इश्क एहसास है या ख़ुशबू या जुगनू या चिराग इश्क एहसास है या ख़ुशबू या जुगनू या चिराग
अपने अंदर ताजगी समेटना अच्छा लगता है। अपने अंदर ताजगी समेटना अच्छा लगता है।
वो राहें अब लगती हैं अजनबी की तरह। वो राहें अब लगती हैं अजनबी की तरह।
तू साथ हो तो त्यौहार भी जैसे सांस लेने लगे, तेरी आहट से इस रात को फिर से संवार लानी है तू साथ हो तो त्यौहार भी जैसे सांस लेने लगे, तेरी आहट से इस रात को फिर से संवा...
सर्द जाड़े की धूप की गरमाहट सा उसके प्यार की तपिश महसूस करना सर्द जाड़े की धूप की गरमाहट सा उसके प्यार की तपिश महसूस करना
स्वर्ग लोक की थी वो क्रांति, या थी मन की स्वप्नरूपी भ्रांति। स्वर्ग लोक की थी वो क्रांति, या थी मन की स्वप्नरूपी भ्रांति।