आज फिर से हम दोनो के फासले नजर
आज फिर से हम दोनो के फासले नजर
आज फिर से हम दोनो के फासले नजर आये ...
आज फिर से महसूस हुआ कि कहीं एक कांटा अभी भी चुभा है ...
साथ रह कर भी दूरी है ...
कुछ अजीब सी ये मजबूरी है ...
चाह के भी तुमको मिल नही सकते ..
और दूर रह के तुमको भूल नही सकते ..
आज फिर से हम दोनो के फासले नजर आये ...
जब सोचा बात करने को तो शब्द ही कहीं खो गये ...
कुछ कहने के पहले हम चुप हो गये ..
पुरानी यादे भुला दी थी हम ने ...
फिर क्यू आज सारे जख्म ताजा हो गये ....
आज फिर से हम दोनो के फासले नजर आये ...