आज के गिरते लोग
आज के गिरते लोग
आज भारत की माटी गन्दी हो चुकी है
गिर चुके हैं लोग, आत्मा मैली हो चुकी है।
जहाँ पर नारियों को पूजा जाता रहा है,
वहाँ आज़कल वो अपमानित हो चुकी है।
कितना औऱ गिरेगा हे तू पागल इंसान,
कुछ के चक्कर मे सबकी बेजज्जती हो चुकी है।
नशा भी कारण रहा है हमारी बर्बादी का,
गर बन्द कर दे इसे सरकार,
कुछ तो अच्छे कामों की चहलकदमी हो चुकी है।
औरत की इज्ज़त अनमोल है,कद्र करो
बिना स्त्री के माँ कहाँ से लायेंगे
यह सोच कर ही आंखे दरिया हो चुकी है।
क़त्ल करो आज के इंसान के गंदे विचारों का,
अच्छे विचारों से ही कांटो से खुश्बू फैल चुकी है।
नारी का सम्मान तोड़नेवाले,
खुद की माँ का अपमान करनेवाले,
उन हैवानों को फांसी पर लटका दो
यह मिशाल ही समाज के लिए
मिशाइल हो चुकी है।