जल की चेतावनी
जल की चेतावनी
बर्बाद करोगे अगर मुझे, मैं प्रलय मचाता जाऊंगा।
बूँद-बूँद को तरसोगे, पर हाथ कभी न आऊँगा।।
मर्यादा में रहूँ अगर, तो सबकी प्यास बुझाता हूँ,
दिनकर के क्रोधित होने पर, नैया पार लगाता हूँ।
नहीं रहूँ तो मरना निश्चित, अगर रहूँ तो सृष्टि व्यवस्थित,
अब तो मुझे बचाना सीखो, वरना क्रोध दिखाऊंगा।1।
ईश्वर ने आदेश किया है, तुम सबको जीवन देना है,
बाल, वृद्ध और युवा सभी का, पालन पोषण करना है।
चिंता नहीं तुम्हारी केवल, प्राणि मात्र सब आश्रित हैं,
यदि मानव बनकर नहीं रहा, मैं त्राहिमाम कहलाऊँगा।2।
कृषक तरसता बूँद-बूँद, खेतों में पानी देने को,
तू फव्हारे सजा रहा है, केवल आनंद मनाने को।
धरती से अन्न उगाने वाला, मृत्यु को गले लगाता है,
यदि भूल गया सीमाएं अपनी, मेघों पर रोक लगाऊंगा।3।
मत छेड़ हिमालय पर्वत को, यह मेरा उद्गम स्थल है,
भारत की रक्षा करने वाला, यह लोकतंत्र का गौरव है।
तेरे ही इन अपराधों से, हर रोज पिघलता जाता हूँ,
पर्यावरण बचाले मानव! वरना संसार डुबा दूंगा।4।
