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Preeti Tamrakar

Romance

4.2  

Preeti Tamrakar

Romance

आज चाँद निकला है

आज चाँद निकला है

1 min
319


हया की चादर में लिपटा है जो, वो मेरा प्यार पहला है

मुद्दतों बाद मेरे आंगन में, आज चाँद निकला है

पाकर आहट मेरी, चेहरे को छुपा लेते हैं

उठा के नजरें मुझे देखके, फिर झुका लेते हैं

खुद में ही सिमट जाता है, मेरा सनम बड़ा शर्मीला है

मुद्दतों बाद मेरे आंगन में, आज चाँद निकला है!


कभी शरारत में वो, पाज़ेब छनका देते हैं

कभी मुस्कुराके होंठों को, दांतों से दबा लेते हैं

दिलकश अदाओं पर तो उफ्फ़, दिल मेरा फिसला है

मुद्दतों बाद मेरे आंगन में, आज चाँद निकला है!


उसे फूल कहूँ, या दे दूँ ख़िताब मैं हूर का

है सबसे जुदा, हाय क्या कहूँ ,न जवाब मेरे हुज़ूर का

है खुशकिस्मती जो हमसफ़र, मुझे मनचाहा मिला है

मुद्दतों बाद मेरे आंगन में, आज चाँद निकला है!

      


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