आइना
आइना
कितना बेबस बना दिया उस खुदा ने इंसान को
न दिखने वाली चीज़ से आइना दिखा दिया,
हवा क्या चीज़ है, उसे सिर्फ महसूस किया था
आज बिना उसके हम्म कुछ नहीं ये दिखा दिया,
कितनी दूर तक पहुँँच गए ब्रह्माण्ड ढूंढने को
कोसो दूर हो गए हम्म अपने ही घर बार से,
यह धर्म, जाती आमिर-गरीब सब भूल गए ना
अपने पे आई तो कम्ब्खत विज्ञान पे आ गए,
कुछ माइने नहीं रखता, अगर इन्सानियत जिंदा हो
आजकल अख़बार मेे जिसकी धज्जियाँ उड़ी हो,
कहते थे वोह युग आएगा, जब पानी भी बिकेगा
सोचा न था, यहाँ हवा के भी भाव लगेंगे।