आह्वान
आह्वान
जागो मेरे वीर सपूतों, मैंने है आह्वान किया
आज किसी कपटी नज़रों ने मेरा है अपमान किया
किसी पापी के नापाक कदम, मेरी छाती पर ना पड़ने पाए
आज सभी तुम प्रण ये कर लो, जो आया, कुछ, ना लौट के जाने पाये
दिखला दो तुम दुश्मन को, तुम भारत के वीर सिपाही हो
तुमको ना कोई रोक सका, जितनी भी गहरी खाई हो
हिमालय से भी ऊंची है तेरे आत्मबल की चोटी
तोड़ दो उनके अरमानों को, जिनकी नियत सदा है खोटी
घुस कर म
ेरी सीमा में, जिसने तुमको ललकारा है
उसको उसकी औकात दिखा, मैंने भी हुंकारा है
जब तक थक कर वो लौट ना जाए तबतक तुझको लड़ना है
जब तक भोर की किरण ना फूटे तब तक तुझको जगना है
दे ऐसा जवाब उन्हें, कदम कभी फिर उठ ना पाए
तेरे माँ के आँचल तक, वो हाथ कभी फिर बढ़ने ना पाए
तेरे रगों में रक्त मेरा है, ये आज तुझे दिखलाना है
लेकर प्राण शत्रु का आज तुझे, मेरे दूध का कर्ज़ चुकाना है।