"आह्वान"
"आह्वान"
सर्व सुसम्पन्न, सुगम स्वसाधन
संस्कृति समरसता की पहचान हो
सौभाग्य सुशोभित हो रहा
सौम्य सरस्वती का आह्वान हो।
साकार सपने समस्त हो अपने
सबल समृद्धि का सैलाब हो
सहज सरलता की आस लिए हम
सतत् सम्भव का प्रयास हो।
सच सचेत का विश्वास भरा जो
स्वयं सक्षम का आगाज़ हो
सार्थक सामर्थ्य भरा ये जीवन सारा
सद्भावना सहानुभूति का भाव हो।
सद्वृत्ति सदैव बनी रहे निरंतर
सार संग्रह का मान हो।
सुन्दर सजीले जो उतरे मन में
सदा संयोग भरा सम्मान हो
सत्य संकल्प की जो लगन करे
समक्ष सम्मुख का व्याख्यान हो।
स्वाभिमान सम्मोहन जन जन में
संगीत साहित्य से कल्याण हो।