आग ओर धुँआ
आग ओर धुँआ
आग कहीं तो लगी है
इसी लिए धुआं उठ रहा
किसने लगाई क्यों लगाई
ये कुछ मत पूछो
कौन जला क्या क्या जला
किस किस का जला
ये भी एक प्रश्न है
आप कहते कुछ नहीं जला
उससे पूछो जिसका जला
जो जला क्या था
कितने का था
कोई क्यों चिल्लाया
किसी को क्यों रोना आया
किसकी इज्जत गयी
किसकी बची
कुछ नहीं पता चलता
कौन इसका गुनहगार
कौन उसका पनाहगार
जो भी हो कहीं धुआं उठा
कहीं आग तो लगी
किसी का दिल जला
किसी का तन जला
किसी का घर जला
जलन, तपन, उससे पूछो
जिसका सब कुछ जला।
