STORYMIRROR

Dr.Deepak Shrivastava

Abstract Classics

4  

Dr.Deepak Shrivastava

Abstract Classics

आग ओर धुँआ

आग ओर धुँआ

1 min
258

आग कहीं तो लगी है

इसी लिए धुआं उठ रहा

किसने लगाई क्यों लगाई

ये कुछ मत पूछो

कौन जला क्या क्या जला

किस किस का जला


ये भी एक प्रश्न है

आप कहते कुछ नहीं जला

उससे पूछो जिसका जला

जो जला क्या था

कितने का था

कोई क्यों चिल्लाया


किसी को क्यों रोना आया

किसकी इज्जत गयी

किसकी बची

कुछ नहीं पता चलता

कौन इसका गुनहगार

कौन उसका पनाहगार


जो भी हो कहीं धुआं उठा

कहीं आग तो लगी

किसी का दिल जला

किसी का तन जला

किसी का घर जला

जलन, तपन, उससे पूछो

जिसका सब कुछ जला।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract