आधुनिक नारी
आधुनिक नारी
अर्द्धांगिनी कहकर जिसे सम्मानित करते थे लोग
उसी ने दिखाया है अपना असली शक्ति - स्वरूप
आँखें फाड़कर देखते थे जिसे लंपट आवारा लोग
उसी ने जग को दिखाया हर क्षेत्र में अपना रूप।
गृहस्थी में रुतबा कायम है जमाने से जिसका
वही डंका बजा नभ थल जल में झेली है धूप
शिक्षा से वंचित करता रहा जिसको पुरुष समाज
उसी ने परचम लहरा दिखाया है निज बुद्धि स्वरूप।
खेल जगत हो या रेलवे और वायुयान का कौशल
पुरुषत्व बौना बनाया है आधुनिक नारी स्वरूप
कार्यालयी व्यवस्था जिसने सँभाला है बेहतर
उसे देख निकम्मों की आँखें व जुबाँ रहती चूप।
हुनर को प्रदर्शित किया है बन लेखिका-शिक्षिका
सँभाला है खुद को दिखाया है अपना दो रूप
'वीनू" चिकित्सा जगत हो या राजनीतिक हो क्षेत्र
फहराया विकास परचम आधुनिक नारी स्वरूप।