आधी हक़ीक़त आधा फसाना
आधी हक़ीक़त आधा फसाना
खुदा का एक नज़राना लगती हो
कभी हक़ीकत कभी फसाना लगती हो
तुम थी मेरी ये हक़ीकत है
तुम जा चुकी ये फसाना है
लग गयी जमाने की नज़र जब खबर फैली की
मेरे पास कायनात का एक अनमोल खजाना हैं
तुम अगर हक़ीकत हो तो तुम्हारी बांहों में
फसाना हो तो तुम्हारी याद में एक दिन तो मर जाना है
ये राइटर तेरी अदाओं का कायल और निगाहों का दीवाना है
मुझे लगता है तुम हक़ीकत हो लोग कहते है फसाना है
कोई यक़ीं नहीं करता सब कहते हैं पागल मस्ताना है
खैर छोड़ो सबका अपना समझना समझना हैं
फरक नहीं पड़ता कोई क्या सोचता है
तेरा मेरे ख्वाबों में रोज़ का आना जाना है
सब चला जाएगा इक दिन बस तेरा इंतज़ार रह जाना हैं
मुझे लगे कभी हक़ीकत कभी लगे फसाना हैं।