भारतीयता
भारतीयता
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भारत की अनेकता है यही तो एकता है
धर्मों की लड़ाई में कोई और ही रोटी सेंकता है
कहीं नारों की ललकार है
कहीं भीड़ की मार है
किसी को मिल रहे मेडल है
कहीं निकल रहे कैंडल हैं
साहब आप बड़े जजमेंटल हैं
क्या इस सब की जरूरत थी
क्या यही देश की सूरत थी
मैं भारत शर्मिंदा हूं
करता सब की निंदा हूँ
मैं सबको अपनाऊंगा
समान प्रेम जतलाऊंगा
आज मुद्दा हिजाब का है
कल कृपाण का होगा
राजनीति को फायदा पहुंचाने के लिए
सौदा फिर किसी के प्राण का होगा।