आ मितवा
आ मितवा
आ मितवा हम कुछ
हँसे कुछ बोलें
नैनों में जो बसते थे नीर,
उनको खुशियों के जल से,
थोड़ा धो लें।
हँसते -हँसते छलक जाए,
आँखों से जो एक आँसू,
फिर बह जाने दे इनको,
और जरा हम खुलकर रो लें,
नव उमंगे छाई हैं,
आ खुशियों के हिंडोले झूलें,
बीती रात कमल दल फूले।

