2020 की यादें
2020 की यादें
साल 2020 से अब तक का सफर
जिसे भुलाकर भी नहीं भूल सकते
मानो ट्रेन में सफ़र कर रहे थे और
ट्रेन एक ऐसे स्थान पर रुक गई है
जहाँ आगे जाने की राह न दिखती है
अपनों से दूर न जाने कहाँ हम
बहुत दूर हो गए अपनों से
गम बहुत था दूर होने का हमें
पर संतोष था सब सलामत हैं
कुछ ही समय हुआ दर्दनाक
खबर आई सुनकर दिल भर आया
जो करीबी थे उनको आज खो दिया
कोरोना का कहर ऐसा बरपा
जाने कितने अपनों को निगल गया
हम पास रहकर भी कुछ न कर पाए
इतने असहाय हो गए आज
अपनों को ही न बचा पाए
2020 से 2021 तक का सफ़र
अभी तक भयावह बना हुआ है
न जाने ये कोरोना कब थमेगा
कब रुकेगा इसका कहर
कब सब पहले जैसा होगा
कब हम सब साथ होगें
आखिर कब आयेगा वो समय।