सपने सच नहीं होते, अपने कभी गैर नहीं होते
सपने सच नहीं होते, अपने कभी गैर नहीं होते
हर सपने कभी सच नहीं होते। सपनों से कहीं हटकर होती है हकीकत की दुनिया। इसका एहसास जब तक सपना को हुआ, तब तक उसकी दुनिया उजड़ चुकी। संजय के फरेब को प्यार समझ कर अपने मां-बाप को छोड़कर घर से निकल चुकी सपना अब यह समझ नहीं पा रही थी कि वह कहां जाए। घर से जो गहने ले आई थी, उसे लेकर वह कब का गायब हो गया था और छोड़ गया था उसके पेट में और अपने फरेब की निशानी। अब उसे पता चल रहा था कि उसके पिता बिल्कुल सही कह रहे थे संजय के बारे में। अब वह समझ नहीं पा रही थी कि कहां जाए। उसके सपनों का संसार बसने से पहले उजड़ चुका था। सपना इसी उधेड़बुन में थी। वह सामने से आ रहे ट्रक को देख नहीं पाई और उसकी चपेट में आ गई। होश में आई तो वह अस्पताल में पड़ी थी। उसको होश में देखकर लेडी डाक्टर उसके पास आई और कहा कि सॉरी मैं आपके बच्चे को बचा नहीं पाई। यह सुनकर सपना का सिर घूमने लगा और वह फिर बेहोश हो गई। आठ घंटे के बाद होश आया तो कोई उसका सिर दबा रहा था। देखा तो वह मां थी। वह मां से लिपटकर रोने लगी और अपनी गलती के लिए माफी मांगने लगी। मां ने सिर्फ इतना कहा कि बच्चे गलती करते हैं तो मां-बाप उन्हें छोड़ नहीं देते। मां-बाप हमेशा अपने बच्चों के भले की सोचते हैं।