कर्मो का फल"
कर्मो का फल"
मैं office से जरूरी मीटिंग के लिए बाहर आया, अभी बाइक को किक मारी ही थी कि जूते का सोल टूट गया। अब ऐसे कैसे मीटिंग अटेंड करता सो लगा किसी जूता रिपेयर वाले को देखूं। अचानक मेरी नजर सड़क किनारे बैठी बुजुर्ग महिला जो कि लगभग 65 साल के आसपास होगी लोगों के जूते चप्पल रिपेयर कर रही थी। पहले मुझे कुछ अच्छा नहीं लगा फिर जरूरी मीटिंग का ख्याल आया तो उनके पास पहुंच गया। बातों बातों में मैंने पूछा---मां जी आप ऐसा काम क्यों करती हो, वो बोली-बेटा सब कर्मों का फल है, मेरा मतलब कर्मों का फल, वो बोली-बेटा मैं और मेरे पति शुरू से बेटा चाहते थे इसीलिए हमने दो बेटियों को कोख में मार दिया उसके बाद दो बेटे हुए बड़ी उम्मीदों से उनकी परवरिश की पढ़ाया -लिखाया उनकी हर छोटी बड़ी इच्छाओं को पूरा किया। धूमधाम से दोनों की शादी की। बस उसके बाद दोनों बदल गये। मेरे कहने पर मेरे पति ने घर कारोबार सब कुछ दोनों के नाम कर दिया। बहुओं ने हमसे भेदभाव शुरू कर दिया। कई बार लड़ाई होती बदले में हमें भूखे सोना पड़ता था। पति ये सब सहन नहीं कर पाये और चल बसे। बस बेटे बहुओं ने बार बार किसी ना किसी तरह सताना जारी रखा और एक दिन घर से पागल ना जाने क्या-क्या कहकर निकाल दिया। कई दिनों भूखी रहने पर एक भले आदमी ने मुझे ये मेहनत का काम सिखाया, क्योंकि मुझे भीख नहीं मांगनी थी, बस तब से ऐसे ही काम करके अपना पेट पाल रही हूं।
मैं स्तब्ध था क्या कहूं.. खैर मेरा जूता तब तक ठीक हो चुका था। मैंने100 रू दिए तो उसने बाकी के 60रू मुझे वापस देने को बढ़ाये। मैंने कहा रख लीजिए बेटा समझकर कुछ खा लीजिएगा। मगर उसने साफ मना कर दिया बोली-नहीं बेटा बस अगर कुछ करने की इच्छा रखते हो तो इतना करना अपने माता पिता को कभी दुखी मत करना और अपने आसपास भी किसी को ये अपराध मत करने देना कौन जाने कब किसे कैसे ऊपरवाला उसके कर्मों का फल दे दे..!!