टीवी
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रोहन ढोलकपूर नाम के छोटे से गांव में रहता था। रोहन के माँ बाप खेती करके गुजारा करते थे। रोहन अपने पिता से हर रोज़ टीवी की मांग करता था। रोहन के पिता इतने अमीर नहीं थे की रोहन की टीवी की मांग पूरी कर सकें। रोहन उसकी मांग पूरी न होने के कारण अपने दोस्तों के घर टीवी देखने जाता था। रोहन शरारती होने के कारण उसका उसके दोस्तों के साथ झगड़ा हो जाता था । यदि झगड़ा नहीं होता तो उसके दोस्त उसे घर से निकाल देते थे। एक बार रोहन के पिता ने ये सब देख लिया। रोहन के घर लौटने के बाद उसके पिता ने उसे कहा की उन लोगों के घर मत जाया करो। इस बात पर रोहन अपने पिता से कहता है कि अगर आपने मुझे टीवी लाकर दे दी तो मैं उन लोगों के घर टीवी देखने नहीं जाऊँगा।
रोहन की ये बात उसके पिता को अच्छी लगी उन्होंने सोचा की अगर मैंने रोहन को टीवी लेकर दे दी तो वो घर के बाहर नहीं जायेगा घर में बैठकर पढ़ाई करेगा। उसे लोगों का भला बुरा नहीं सुनना पड़ेगा। अगले दिन उसके पिता ने उसे कर्जा लेकर टीवी लाकर दे दी। रोहन के पिता ने जैसा सोचा था उसके उल्टा रोहन करने लगा। पढ़ाई छोड़कर कार्टून के चैनल लगाकर दिन भर कार्टून देखता था। एक दिन उनके घर रोहन का चचेरा भाई आता है। घर आने के बाद उसने देखा की रोहन सिर्फ कार्टून देख रहा था। रोहन के भाई ने रोहन को पढ़ाई वाला चैनल लगाने के लिए कहाँ। वो चैनल देखकर उसे अच्छा लगा। रोहन रोज़ वही चैनल देखने लगा और पढ़ने लगा। रोहन का मन पढ़ाई में लगने लगा और उसके वजह से उसने टीवी देखना बंद कर दिया और स्कूल में अच्छे नंबर से पास होने लगा।