स्मार्ट सिटी
स्मार्ट सिटी
रोजगार की कमी के कारण गाँवों से शहरों की तरफ पलायन इतना अधिक हो गया है कि बढ़ती आबादी के बोझ को शहर और महानगर झेल नहीं पा रहे तथा विकास के नए प्रतिमानों को दर्शाने के लिए शहरों और महानगरों को कंक्रीट के जंगल में परिवर्तित किया जा रहा है। इसके लिए लाखों पेड़ों की बली ली जा चुकी है और पर्यावरण को बेहद क्षति पहुंचाई गई है। पुराने शहरों में पारंपरिक पानी की प्याऊ छाया के लिए सड़क किनारे पेड़ सड़कों को चौड़ा करने के लिए सब हटा दिए गए हैं, जिसके दुष्परिणाम सर्वविदित हैं। क्या पंछी और क्या मनुष्य छाया और पानी की तलाश में भटक रहे हैं कभी अकस्मात दुर्घटना होने पर भी दो बूंद पानी और छाया नसीब नहीं हो रही। स्मार्ट सिटी के मायाजाल में मनुष्य काल के गाल में समा रहा है जिसका नीति नियंताओं पर कोई असर नहीं पड़ रहा। इसी सत्य को समाहित कर 'स्मार्ट सिटी' लघुकथा लिखी गई है।