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Saroj Verma

Drama Others

4.0  

Saroj Verma

Drama Others

तपिश...

तपिश...

3 mins
282


मई की तपती दुपहरी और रविवार का दिन, शोभा अपनी स्कूटी घर के सामने खड़ी करती हुई, मन ही मन बड़बड़ाती हुए बोली, अभी तो सिर्फ दिन के ग्यारह बजे है, और आग बरस रही है, अभी तो मई का पहला हफ्ता ही हैं और इतनी जानलेवा गर्मी, अभी तो पूरा महीना पड़ा है, अच्छा हुआ मेरे कालेज की गर्मियों की छुट्टियां है, नहीं तो ऐसी गर्मी में कौन पढ़ाने जाता और सब्जियों का थैला उठाते हुए उसकी नजर व्हहाइट कलर की कार पर पड़ी।

अरे, ये कार किसकी है? आखिर घर पे कौन आया है? शोभा ने मन में सोचा।।

और वो अंदर गई, देखा तो सौरभ था।।

और कैसे आना हुआ? शोभा बोली

दिव्या की शादी है अगले महीने तो भइया ने कहा कि तुम लोगों को भी निमंत्रण दे दे, सौरभ बोला।।

शोभा बोली भैया को हम लोग अब तक याद है, जो अपनी बेटी की शादी में हमें बुला रहे हैं।


भइया की आखिरी बेटी की शादी है ना इसलिए उन्होंने तुम सबको भी बुलाने का सोचा है, सौरभ बोला।।

अच्छा, मैं तुम्हारे पीने के लिए कुछ लाती हूँ, शोभा बोली।।

रहने दो, मेघा मुझे जूस दे चुकी है, सौरभ बोला।

मेंघा को क्या पता ? कि गर्मी में जूस नहीं जलजीरा पसंद है तुम्हें, शोभा बोली।

अच्छा ,क्या खाओगे? शोभा बोली

कुछ भी बना लो, सौरभ ने कहा

इतने में मेघा और बादल दोनों बच्चों ने बाहर जाते हुए कहा

मां हम friends के साथ movie देखने जा रहे हैं

अच्छा ठीक है, शोभा बोली

और ध्यान से गर्मी बहुत है! फिर शोभा ने सौरभ से कहा__

मैं कपड़े Change करके आती हूं। सौरभ बैठे -बैठे कमरे को निहार रहा था,

 शोभा भी तब तक कपड़े change करके आ गई,

और नई car कब खरीदी, शोभा ने सौरभ से पूछा।।

अभी तीन महीने ही हुए हैं, सौरभ ने कहा

चलो तुम भी comfortable हो जाओ, तब तक मैं खाना बना लेती हूं।

सौरभ आराम करने चला गया और शोभा रसोई में।

शोभा lunch ready करके सौरभ को जगाने गई,

सौरभ उठो , lunch ready है

हां आता हूं....सौरभ बोला।।

सौरभ ने हाथ धुले और खाने की टेबल पर आकर बैठ गया....

शोभा ने खाना परोसना शुरू किया, ये लो सब कुछ तुम्हारी पसंद का बनाया है, अरहर की दाल, भरवाँ करेले, कच्चे आम की चटनी, प्याज का सलाद और रोटी।।

इतना सब बनाने की क्या जरूरत थी, तुम्हें अभी भी मेरी पसंद याद है, सौरभ बोला।।

कैसे भूल सकती हूं, शोभा ने कहा।

तुम अब भी खाना बहुत अच्छा बनाती हो, सौरभ बोला।

थैंक्स... तुम्हारे बीबी और बच्चे कैसे हैं ? शोभा ने पूछा।

सब ठीक हैं, तुम इस उम्र में, इतनी धूप में सब्जियां लेने गई थीं, तुम्हारी आदत अभी तक गई नहीं, खुद बाजार से सब्जियां लाने की, सौरभ ने कहा।

कुछ आदतें बहुत आसानी से नहीं जाती, शोभा बोली।

और इसी तरह की औपचारिक बातों में lunch खत्म हो गया।

सौरभ बोला , अच्छा अब मैं चलता हूं, मथुरा में और जगह भी card बांटने हैं, शाम को आगरा वापस भी जाना है,

शोभा बोली, ठीक है,

सौरभ जाने लगा तो इतने में बच्चे भी वापस आ गये , सौरभ उनकी तरफ देखते हुए, नीचे उतर गया,car start की और चला गया।

तभी बादल ने कहा, आप लोगों के divorce को इतने साल हो गए, ये तब भी यहां आ जाते हैं, हमें और आपको परेशान करने।

बहुत तपिश थी, मौसम में और बादल की बातों में।



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