क्या खिचड़ी पक रही है
क्या खिचड़ी पक रही है
आज सुबह से ही मैं और मेरी देवरानी मीरा, सासू माँ से थोड़ी कटी कटी सी थीं,..... वैसे ये हम दोनों ने कल रात से ही प्लान किया था कि आज मम्मी से थोड़ा दूरी बना कर रखेंगे, ज्यादा बातें नहीं करेंगे उनसे, सो हम लोगों ने सुबह से कुछ ऐसा ही किया,.... सुबह का चाय नाश्ता बनाया और मम्मी के कमरे में दे आये....!
वैसे रोज तो मेरे पति, देवर और पापा जी के ऑफिस जाने के बाद,..... मैं, मीरा और मम्मी साथ में ही सुबह का नाश्ता करतें है, दिन का लंच करतें हैं, शाम की चाय साथ पीते हैं और रात मे भी मम्मी हम दोनों के साथ ही खाना खाती हैं,...!
दिन भर हम तीनों का मजे से कट जाता हैं... लेकिन आज बात कुछ और थी,..... मम्मी को सुबह के समय लगा होगा, कि दोनों कुछ काम में लगी होंगी इसलिए शायद साथ में नहीं बैठीं.... लेकिन लंच में भी पहले उन्हें लंच करा दिया बाद में हम दोनों ने किया.... इस बार तो सासू माँ को थोड़ा खला क्या बात हैं, दोनों सुबह से अलग अलग सी हैं... उन्होंने पूछा भी हमसे तो हमने बहाना बना कर टाल दिया....
लंच के बाद मम्मी ने हम दोनों को बुलाया, चलो साथ बैठ कर टीवी देखते हैं.. हम दोनों थोड़ी देर बैठी और बहाना बना-बना कर वहाँ से निकल गयीं,.. मम्मी को इस बार तो सच में बुरा लगा पर कुछ बोल नहीं पायी वो....
शाम को चाय के समय हम दोनों मम्मी को चाय दे कर और उन्हें बता कर अचानक ही शॉपिंग के लिए निकल गए बस,.. वैसे तो उन्हें बहुत अच्छा लगता हैं हम दोनों के साथ शॉपिंग पर जाना, लेकिन हम लोगों ने इस बार तो उनसे पूछा भी नहीं,... हम शॉपिंग से आए और उन्हें बताया भी नहीं क्या लाए.....! अब तो उनसे रहा नहीं गया,... साफ साफ पूछ बैठी- क्या बात हैं बताओ मुझे, सुबह से देख रहीं हूँ,... तुम दोनों मुझे नजरअंदाज कर रही हो.... मेरी कोई बात बुरी लगी क्या बेटी तो मुझे बता दो, लेकिन मेरे साथ ऐसा बर्ताव न करो...
उनकी यह बातें सुन कर मुझे बहुत बुरा लगा, उनको दुखी देखा नहीं जा रहा था मुझसे, एक बार तो मन में आया उन्हें सब बोल दूँ लेकिन मीरा ने किसी तरह से बात संभाल ली... और वैसे ही मेरे पापा जी, मेरे पति और देवर भी ऑफिस से आ गए... सासू माँ का उदास चेहरा देख कर सब हमसे पूछ बैठें क्या हुआ माँ को तबीयत तो ठीक हैं न उनकी...
हमें लगा अब सस्पेंस ख़त्म कर देतें हैं इससे पहले कि बात आगे बढ़े... हम दोनों ने सब को ऊपर वाले हॉल में चलने के लिए कहा सब लोग पहुँचे....मम्मी ने जैसे ही दरवाजा खोला उनकी आँखों से आँसू छलक आए और हम दोनों जोर जोर से गानें लगे हैप्पी बर्थडे टू यू मम्मी ... हम दोनों सुबह से ही मम्मी से छुप-छुप कर ऊपर वाले हॉल को सजाने में लगे हुए थे,.... इसलिए उन्हें टाइम नहीं दे रहे थे और ज्यादा बातें भी नहीं कर रहे थे कि सरप्राइज न खुल जाए कहीं... वैसे हमारे अलावा किसी को भी उनका बर्थडे याद नहीं था... पापा जी और उनके बेटों ने उन्हें बधाई दी और उनसे माफी भी माँगी, वो लोग उनका बर्थडे जो भूल गए थे,.... फिर मम्मी ने केक काटा, जो हम लोग शॉपिंग से लाए थे... मम्मी की आँखों में आँसू थे लेकिन वो खुश थी और हम दोनों के कान पकड़ कर बोली तो सुबह से ये "खिचड़ी पका रही थीं" तुम दोनों और मुझे परेशान कर के रख दिया... मम्मी जी हम दोनों को माफ कर दीजिएगा,.... "लेकिन आप को सरप्राइज कैसा लगा ? ये तो बताइये पहले...." सब लोग खिलखिला कर हँस दिए बस.....!