Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

कमरा और जिंदगी

कमरा और जिंदगी

5 mins
1.5K


नींद के इंतजार में छत को तकते हुए उसकी ये रात भी पिछली कई रातों की तरह ऐसे ही बीत जाने वाली थी। ऐसा होता भी क्यों न ! उसने याद कर कर के फिजूल हँसने वाले अपने सारे हसीन लम्हों को खर्च जो कर दिया था।

नींद न आने की बेचैनी और सुबह दुनिया के सामने खुद को एक प्रोडक्ट बनाकर पेश करने की इस कशमकश में अचानक उसकी नज़र पास में रखे एक काँच के गिलास पर पड़ी। गिलास में उसे अपना अक्स नज़र आया। चिकना सपाट माथा मानों जैसे किस्मत की लकीरों से उसे नदारद रखा गया हो और आंखें जो कई सारे सपनों का बोझ उठाते-उठाते थक चुकी थी।

वहीं आँखों के ठीक नीचे काले दाग जो उसकी नाकामयाबियों की कहानी बयां कर रह थे। अचानक खुद से हुई इस मुलाकात ने उसे अंदर तक झकझोर कर रख दिया था। ख्यालों में डूबे हुए उसे ये पता ही नहीं चला कब उसने कई छोटे-बड़े, जवान-बुजुर्ग और टूटे-फूटे सवालों को अपने जेहन में न्यौता दे दिया। अनचाह मेहमानों की तरह आए ये सवाल देखते ही देखते इतने आक्रोशित हो गए की उसके जेहन में मौजूद जवाबों की बस्तियों को उजाड़ने लगे।

चीखते-चिल्लाते, बिलखते ये जवाब गर्म पानी बनकर उसके पहाड़ जैसे दोनों कठोर गाल पर रिसने लगे थे। गालों से रिसता हुए जवाबों का एक बूंद परिवार जमीन पर इतनी तेज गिरा कि उसकी आवाज़ से वो सकपका कर उठ बैठा। उसकी आँखों के ठीक सामने उससे भी ज्यादा अकेली और खाली दीवारें थी; सामने वाली दीवार के चेहरे पर कई सारी शीत की झुर्रियां थी। वहीं अगल-बगल की दीवारों के गालों का मेकअप भी उखड़ा हुआ था। अचानक उसे ठंडी-ठंडी हवा महसूस होने लगी। जिससे उसका ध्यान दीवारों से हटकर खिड़की की ओर गया। खिड़की का एक हाथ न होने के बावजूद भी वो बचे हुए हाथ से कमरे में आने वाली ठंडी हवा का किसी घायल सिपाही की तरह सामना कर रही थी। कमरे में चारों ओर उसके ज़ेहन में चल रहे सवालों और जवाबों की जंग की गूंज सुनाई दे रही थी जिसकी गवाह उसकी सामान्य से अधिक गति में दौड़ रही धड़कनें थी। वो घबराकर कमरे में चारों तरफ जीने की आस को ढूंढ़ने लगा।

तभी उसकी नज़र धूल से लथपथ और जिंदगी से भरी हुई किताबों पर गई। उसने किताबों को देखते हुए ये पाया कि धूल ने भले ही उनके कवर को मैला कर दिया था लेकिन वो किताबों के रंगों को फीका नहीं कर पाई थी। इस वक्त़ पूरे कमरे में उसे सबसे खूबसूरत और मूल्यवान वस्तु वो ही दिखाई दे रही थी। एक दूसरे से अलग-अलग होकर भी जैसे वो एक पूरा परिवार थी। उसने जब ध्यान से देखा तो किताबें बिल्कुल उसके जीवन के क्रम अनुसार जमी हुई थी। सबसे आगे बचपन को समेटे हुए चुटकुले, राजा रानी, नानी की कहानी वाली किताब थी। जो किताबों की पंक्ति में आगे खड़ी थी। उस किताब के पहले पेज पर बंदर पायजामा पहने हुए जंगल में उछल कूद मचा रहा था, तो वहीं शेर की fबारात में भालू बैंड बजा रहा था। बंदर और भालू की कलाबाजियां देखकर उसके बंजर जमीन से भी ज्यादा सूखे चेहरे पर पड़े मुरझाए होंठो ने चेहरे से बगावत की और मुस्कुराने लगे। भालू और बंदर की शरारत ने उसके जेहन की दुनिया में खोए हुए नन्हे ख्यालों को मासूमियत के घर पंहुचा दिया था। अचानक वो मुस्कुराना छोड़कर फिर से सवालों के आगे खड़ा हो गाया। और खुद से ही बात कर पूछने लगा। क्यों उसे अब बंदर का पेड़ों पर चढ़ना गुदगुदाता नहीं है ? क्यों वो कोयल की मीठी आवाज़ सुन चहक नहीं उठता ? सब कुछ सोचते हुए उसे एहसास हुआ कि उसने जिंदगी में दौड़ते-दौड़ते अपने अन्दर के बच्चे का हाथ छोड़ दिया था। ऐसा नहीं था कि उछलते नाचते बंदर और भालू ने उसके जेहन में चल रहे जवाबों और सवालों की जंग पर पूर्णविराम लगा दिया था लेकिन उसके जेहन के एक हिस्से में चल रही जंग अब शांत हो चुकी थी। उस हिस्से में सवाल खड़े तो थे लेकिन उनके हाथों में इठ्लाते गिरते चलते हुए नन्हे जवाबों की उंगली थी। किताबों की ओर फिर से देखते हुए उसने पाया कि किताब में मौजूद बंदर, भालू और शेर आज भी उतने ही शरारती है जितने उसके बचपन के दिनों में थे। सब कुछ वैसे ही है। बदल तो वो गया था, उम्र की सीढ़ियों पर चढ़ते हुए जैसे जिंदगी आगे बढ़ती है उसी क्रम में रखी हुई किताबों पर उसकी नज़र फिर से पड़ी। इस बार उसकी नज़र जिन किताबों पर पड़ी थी वो किताबें उसके जिंदगी के सबसे हसीन पलों को संजो हुए थी। वो किताबें उसकी आँखों को अपना परिचय बशीर बद्र, नीदा फ़ाजली और गुलजार के शेर सुनाते हुए कर रही थी। ये सिर्फ वो ही जानता था कि इन शायरी की किताबों के पन्नों की जमीन पर उसकी ख्वाहिशों की न जाने कितनी कब्र दफन है। लेकिन उसने अचानक इन किताबों की ओर देखते हुए आज ये तय कर लिया था कि अब वो किताबों के पन्नों की कब्रों पर यादों के फूल नहीं चढ़ाएगा। किताबों की आखिरी पंक्ति को जब उसने देखा तो पाया कि एक बूढ़ी लेकिन मजबूत डायरी खड़ी थी। जिसका साहरे से बाकी किताबें टिकी हुई थी। डायरी के कवर पर लिखा हुआ साल भले ही मिट गया हो, लेकिन उसके महीनों के पन्ने बिल्कुल नए थे। किताबों की लाइन में रखी हुई खाली डायरी में न तो उसके ख्वाबों की कब्र थी और न ही नाकामयाबियों की निशानियां। अचानक खिड़की से एक हाथ से गले मिलते हुए कमरे के अंदर रोशनी आई। जिसने उसके चेहरे को छुआ। उसने देखा कि सुबह खिड़की से अंदर आ रही थी, वहीं रात दरवाजे से विदाई ले रही थी। वो ये रात कभी नहीं भूलना चाहता था क्योंकि इस रात ने उसे एक ओर बचपन की मासूमियत लौटाई थी तो दूसरी ओर जिंदगी को नए सिरे से लिखने के लिए डायरी।।।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama