चुनावी सीजन में वोटर शिकार
चुनावी सीजन में वोटर शिकार
पूछा जो मैंने देखकर उनकी कमां में तीर,
किस जानवर के सैद (शिकार) का मन में विचार।
कहने लगे फसल-ए-इलेक्शन है इन दिनों,
वोटर ही इस जमाने का बढ़िया शिकार।
रामकरन इसी शेर को गुनगुनाते हुए जा रहे थे। तभी मोहन लाल उनसे टकरा गए। जानबूझ कर टकराए या अनजाने में यह तो साफ नहीं हुआ पर यह तो साफ था कि वह रामकरन से ही मिलने जा रहे थे। रामकरन को देखते ही मोहन बोले, शैतान का नाम लो शैतान हाजिर। इस पर रामकरन भन्ना गए और भन्नाहट मेे बोले आप किसको शैतान बोल रहे हैं। मोहन लाल शरारत भरे अंदाज में बोले, अरे जनाब ! आपको ही। रामकरन पिनपिना गए और बोले, एक बार फिर कह रहे हैं कि आप हमको शैतान न बोलें। हम एक सीधे-साधे इंसान हैं।
इस पर मोहन बोले, खामखां क्यों गुस्सा हो रहे हैं। थूक दीजिए। अरे ये सब बातें छोड़िए, बताइए इस बार आप किसको वोट देंगे। किसको जिताएंगे।
रामकरन तपाक से बोले, अरे किसको जिताएं। सब एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं। कहते हैं कुछ हैं और कहते कुछ हैं। विकास की बात करते नहीं। धर्म-जाति, मंदिर और मस्जिद की बात करके लोगों को गुमराह करते हैं। महंगाई कितनी बढ़ती जा रही है देखिए। कोई भी सरकार कुछ कर रही है, इसको कम करने के लिए। सबके लिए आम आदमी सिर्फ वोटर है। इस चुनावी मौसम में वोटर ही उनके लिए सबसे बड़ा शिकार है। जैसे बकरी बांध कर शेर का शिकार किया जाता है, वैसे ही इस समय लोगों को जाति-धर्म का प्रलोभन देकर अपने जाल में आज के नेता फंसा रहे हैं। इस बार जनता नोटा का बटन दबाए, तभी नेताओं की अक्ल ठिकाने आएगी। खैर छोड़िए इन सब बातों को, हम तो चले अपना काम करने।