दोस्ती-3
दोस्ती-3
विक्रम समुद्र की लहरों पर धीरे धीरे चल रहा था। बैताल ने देखा तो उसे बड़ा आश्चर्य हुआ। उसने विक्रम से पूछा- “क्या हुआ राजन, आप इस प्रकार समुद्र तट की लहरों को शांत करने की चेष्टा क्यों कर रहे हैं ?”
उद्वेलित मन से विक्रम ने कहा- “तुमने हमारी निरंतर सहायता की है। हमें एक छल के जाल में फंसने से बचाया। हमें अपना मित्र बनाया। अपनी कथा वाचन की शक्ति से और तुम्हारे द्वारा पूछे गए प्रश्नों से हमारा ज्ञान समृद्ध हुआ। इसके लिए हम तुम्हारे बहुत आभारी हैं।”
विक्रम ने एक गहरी सांस ली और कहा- “आधुनिक समाज मे इस प्रकार की मित्रता का अभाव क्यों हैं बेताल, क्यों मनुष्य अपने जीवित रहते अपने ही संबंधियों से मित्रता क्यों नहीं निभा रहे?”
यह सुनकर बेताल को हँसी आ गई। वो विक्रम के पास पहुंचा और उसकी पीठ पर चढ़ कर बैठ गया। फिर उसने कहा- “आधुनिकता के कारण मनुष्य के विचारों का परिवर्तन गलत दिशा की ओर हो रहा है। उनके विचार मात्र अपने प्रियजनों के हित साधने मे ही रुचि हैं। वह शक्ति के मद में स्वार्थी हो गया हैं। सच्ची मित्रता तो निस्वार्थ भाव से क्रियान्वित होती हैं जो कि विचारों के परिवर्तन के अभाव में संभव नहीं।