हम दो, हमारे दो, तो सबके ही दो
हम दो, हमारे दो, तो सबके ही दो
मेरा कभी ध्यान छिटक भी सकता है
कभी किसी पर अटक भी सकता है
जिसने कई वादों पर हाथ पकड़ा है
भरोसा कम कर, झटक भी सकता है
उसके बर्दाश्त की हद भी तो होगी
अंगुली ना करो, पटक भी सकता है
शेर से बैर ज़रूरी तो नहीं जंगल में
दिमाग उसका सटक भी सकता है
हम दो, हमारे दो, तो सबके ही दो
वरना तो देश भटक भी सकता है...।।