प्रेम तालाब
प्रेम तालाब
न जाने कहाँ थे तुम
न जाने कहाँ थे हम
न रोक सके सैलाब
शुभ मिलन का सनम।
तेरे प्रेम तालाब में
लगायी जब डुबकी
मिटी वर्षों की प्यास
पल पल लगा रास।
हम दोनों का स्पर्श
मिटाए मन कल्मश
जले दीया बाती बन
जग बनाए मधुबन।
न हो इसका अपमान
रखेंगे सदा इसका ध्यान
तन मन न हो विचलित
दूर रहकर भी देंगे साथ।