मानव मूल्यों का मोल
मानव मूल्यों का मोल
आओ हम सब एक संकल्प ले,
दया भाव और करुणा के।
सभी के यह विकल्प दे ,
(इंसानियत को अपना ले)-2 ।।
हम सब एक ही खून के,
गरीबों के हम सब सुन के।
दिल में एक जगह दे ,
(इंसानियत को अपना ले)-2 ।।
मानव को क्यों है मानव शत्रु ,
टूट रहे हैं क्यों सबके जत्रु ।
भाई - भाई के सपने कर सकार ,
(इंसानियत को अपना ले)-2 ।।
मिट्टी की बढ़ती मोल ,
मानव जीवन है अनमोल ।
मानव को मूल्यों में ,
(इंसानियत को अपना ले)-2 ।।
