मैं नारी हूं
मैं नारी हूं
जला पाए ना जिसे अग्नि, वो है नारी वेदैही की आग।
स्वयं भगवान को जो छोड़ दें, वो हैं नारी सीता का त्याग।।
यमराज से जो छीन लाए, वो हैं नारी सावित्री की शक्ति।
विष के प्याले को जो अमृत करदे, वो हैं नारी मीरा की भक्ति।।
अपना सब कुछ समर्पित कर, वो हैं नारी राधा का प्रेम नि: स्वार्थ।
खठ्ठे बैरो को मीठा किया चखकर, वो हैं नारी शबरी का भक्ति का स्वाद।।
नारी से है घर की रौनक, घर की शोभा।
नारी से है घर का, स्वादभरा चूल्हा-चौका।।
नारी कर-करके, कुछ बंदी और कुछ कटौतियां।
पाई-पाई बचाकर भर लेती हैं, खजानों की पोटलियां।।
नारी लक्ष्मीबाई की वीरांगना देख, उल्टे पैर दुश्मन गए थे भाग।
खुद जलकर सबको रोशन करें, नारी होती है वो अलादीन का चिराग।।
सम्मान नहीं कर सकते तो, मत मेरा अपमान करो।
अपनी बदतमीजी और बदमाशी से, मत मूझको बदनाम करो।।
मैं हूं जीवनदायिनी, मुझसे हैं सृष्टि का सृजन।
मुझको बोझ समझ, भ्रूण में ही मत करो मेरा मरण।।
बहन,बेटी,मां,पत्नी,बहू, मेरे रुप अनेक।
शारदा, काली, लक्ष्मी, दुर्गा, मां जगजननी नारी एक।।
मैं नारी हूं, मैं नारी हूं,मैं नारी हूं।
मैं नारी हूं, मैं नारी हूं,मैं नारी हूं।।