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Shishir Mishra

Inspirational

5.0  

Shishir Mishra

Inspirational

युवा शक्ति एवं आत्मविश्वास

युवा शक्ति एवं आत्मविश्वास

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चल रही है रेलगाड़ी

चल रही है ज़िंदगी, 

इस डगर के मार से

क्यों डर रही है ज़िंदगी, 

रुकती है जो ये लौह पथ पर, 

रोकूँ क्यों मैं अपना मन, 


जो मिले उसमे हँसना

सिखा रही है ज़िंदगी, 

इस डगर की मार से

क्यों डर रही है ज़िंदगी, 

लोग रोके या न टोके

या करे उपहास मेरा, 

क्यों मैं शर्मा कर उठूं,

मैं क्यों न दौडूँ एक बार, 


राहों में हैं कितने तिनके, 

बिखरे तारों के समान, 

ये न सोचों के मैं हारा, 

खींची है मैंने कमान, 


आसमान को होगा झुकना,

रास्तों को होगा रुकना, 

अब जो मैने ठान लिया, 

लग रहा सफर भी ठिगना, 


क्या हुआ जो एक बार, 

हुआ न मुझसे प्रहार, 

तोड़ दूँगा मोड़ दूँगा, 

ज़िंदगी ही तो है ये यार, 


क्या हुआ जो रात बीती, 

रात बीती बात बीती, 

कल सुबह की रोशनी है

वृहत शत्रु-ललकार सरीखी, 


आज जो अपने ना अपने, 

कल जो होंगे सच ये सपने, 

क्या कहूँ वो आट्टहासी, 

भी लगेंगे साथ ठिठकने,


राम तेरी धरती को मैं

यही सिखलाऊँगा, 

ना ही रुकने ना ही झुकने

की कसम मैं खाऊंगा, 

क्या हुआ जो कामयाबी

रह गयी दो कदम दूर, 

सबको शील तेरे जैसा

रखना मैं बतलाऊंगा, 


कभी-कभी रहना भी

रुककर देता बहुतों सीख है, 

डर नही अब हारने

से ये भी रब की भीख है, 


रेलगाड़ी चल पड़ी अब

शंका क्यों है ज़िंदगी, 

इस डगर के मार से क्यों

डर रही है ज़िंदगी, 

जो मिला वो रख ले हँसकर

आगे बढ़ता जा तू बस, 

आगे आने को है मंज़िल

सब्र रख तू ज़िंदगी। 


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