जब से तुम आ बसे हो
जब से तुम आ बसे हो
जब से तुम आ बसे हो आंखों में
रोती रहती है नींद रातों में।
मेरे अपने तो सब यहीं पर हैं
क्या करूँगा मैं आसमानों में।
वो हुनर, वो अदा, क़दों में यार
वो जनाबी कहाँ जनाबों में।
उम्र भर दूरियाँ जिये लेकिन
पास रहते हैं क़ब्रगाहों में।
सुबह होती है आरती के साथ
शाम होती हैं हम अजानों में।