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"जो बात माँ में है वो अब औलाद में नहीं"

"जो बात माँ में है वो अब औलाद में नहीं"

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तेरी दर्द भरी आवाज़ों ने,

आते ही जिसे रुलाया था।

ऐ माँ तेरी पीड़ा कोई ,

अब उसे रुला नहीं पाती है।

 

उन बेचैनी सी रातों में,

लोरी बिन नींद न आती थी।

उस माँ की श्रीमुख वाणी अब,

कानों में शोर मचाती है।

ऐ माँ तेरी पीड़ा कोई ,

अब उसे रुला नहीं पाती है.........

 

हर ख्वाहिश पूरी करने को,

जो खुदको ही अजमाती थी।

उस माँ की वो औलादें अब,

दो रोटी को तरसाती है ।

ऐ मां तेरी पीड़ा कोई ,

अब उसे रुला नहीं पाती है.........

 

जिस तन-मन के स्पर्शों से,

ममता की खुशबू आती थी।

उन हाथों की छुवन से अब,

उन बन्दों को घिन आती है।

ऐ माँ तेरी  पीड़ा कोई ,

अब उसे रुला नहीं पाती है....

 

मुश्किल से मुश्किल घड़ियों में,

जो सबको गले लगाती थी।

वो दुखियारी,बेबस माँ अब,

कई हिस्सों में बंट जाती है।

ऐ माँ तेरी  पीड़ा कोई ,

अब उसे रुला नहीं पाती है.........

 

एक युग था माँ की चाहत को,

पूरा करने वन राम गए।

दुत्कारें खा-खा कर अब माँ ,

औलाद की लाज बचाती है।

ऐ माँ तेरी  पीड़ा कोई ,

अब उसे रुला नहीं पाती है..........

 


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