Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Rudraksh Choubisa

Others Children

4  

Rudraksh Choubisa

Others Children

माँ

माँ

2 mins
419


की जितना लिखूँ तेरे बारे में उतना कम है 

तेरे इस अमूल्य प्यार को देख मेरी आँखें नम है 

आज सब के सामने मैंने ये आगाज़ किया है 

मैंने आज तुझ पे कुछ लिखने का प्रयास किया है


बचपन में तू मुझे जो लोरी गा सुलाती थी 

मेरी भूख पर आधी रात को भी अपना दुग्ध पिलाती थी 

आज भी याद है मुझे कुछ बातें उन दिनों की 

जब तू खुद यशोदा बन मुझे कान्हा कह बुलाती थी


तू जो खुद गीले में सो कर मुझे सूखे में सुलाती थी 

अपने बचपन की बाते मुझे बड़े चाव से बताती थी 

याद बहुत आ रहे है आज वो दिन 

जब तू मुझे एक एक रुपए के लिए रुलाती थी


की वो अपनी रोटी दे कहती है 

खुद भूखा पेट सहती हैं

अजी इतना आसान नहीं होता माँ होना 

जिसके लहू में हर वक्त परिवार की धारा बहती है।


मेरी पहली गुरु, तू मेरी पहली सखा है 

मैंने तेरे हर पकवान तो जोर के चाटे को भी चखा है 

ओर चिंता ना कर तेरा ये लाडला ना है किसी के चक्कर में 

क्यों की मेरा ये दिल तो तेरे पास रखा है ।


मुझे आज भी याद है वो बात मेरे बचपन की 

एक खिलौने को ले के अपनी थोड़ी अनबन थी 

मैंने उस दिन खाना नहीं खाया था 

ओर मैंने तुझे मेरे लिए बेचैन पाया था


माँ तूने 9 महीनों तक मुझे संभाला है 

अपनी पूरी जिंदगी भर मुझे पाला है 

कैसे उतारूंगा तेरी ममता का कर्ज मैं

तेरे आशीष से ही तो तेरा ये लाडला सबका चाहने वाला है


Rate this content
Log in

More hindi poem from Rudraksh Choubisa