पिता
पिता
आज जरा बात मेरे भगवान की करते हैं
उनके लिए दो लफ्ज़ो का आव्हान करते हैं
ओर कोई ना वो बापू हैं मेरे
आओ कविता को उनपे महेरबान करते हैं
मेरे हर सुख में हाथ तेरा है
मेरे हर दुःख में साथ तेरा है
अगर जो तेरा आशीष है ना मेरे सिर पे बापू
तो फूटी झोपड़ी में भी मेरे जन्नत सा बसेरा है
कांधे पे बैठा मुझे सारे खेत घुमाया करता था
मुझे अपने आँखों की पलकों पे बैठाया करता था
खुद के सपने चाहे लाखों या हज़ार हो
पर मेरे लिए तू उन्हें भी दफ़नाया करता था
मेरे कहने से पहले वो चीज़ मेरे पास आई है
तेरे होते हुए मुसीबत मुझे छू तक ना पाई है
क्या ही बात करूं मैं तेरी बापू
तुझमें तो दिखती मुझे भगवान की परछाई है
माँ की बात तो सब करते हैं , तेरा दर्द कौन बताएगा
रिश्ते तो सभी निभाते हैं , पर तुझसा कौन निभाएगा
मेरे लिए तुझे अपने ख़्वाब दफनाते देखा है
एक बात बोलूं बापू , भला ये बात मुझे कौन बताएगा!