शिक्षक
शिक्षक
शिक्षक अक्षरों का कराता बोध
कलम पकड़ना ,पकड़ कर लिखना
लिखकर समझाना , अमल कराना
ऐसा ही है जुझारू शिक्षक का काम।
मां पहली शिक्षक ,परिवार है कड़ी, दूसरी
तत्पश्चात विद्यालय का शिक्षक देता, ज्ञान
क्रेच, प्राइमरी सेकेंडरी ,सीनियर सेकेंडरी
कॉलेज तब जाकर, जीवन लेता आकार।
फिर कॉलेज की आपाधापी में
लेक्चरर प्रोफेसर खोलते नये द्वार
दुनिया के लोग ,उनके कटु अनुभव
जो शिक्षक से भी ज्यादा देते ज्ञान
ऐसे सामाजिक लोगों को भी प्रणाम!
गुरु गोविंद की महिमा है, निराली
दोनों एक दूसरों को बताते ,महान
अच्छा गुरु मिलना-मिलाना, कठिन
कठिन है, पात्रता वाला छात्र मिलना
बिना पात्रता है सब,अधूरा
शिक्षक जिसको करता पूरा।
बच्चा बने महान,हो संस्कारी ज्ञानवान
उसके लिए ही करते ,लगातार प्रयास
किताबों का ज्ञान, बनता है आधार
मानसिक बौद्धिक आध्यात्मिक शिक्षा का
खोलता नित नए द्वार! शिक्षक का काम।
शिक्षक का भी है ,स्वार्थ
आज का बच्चा हो होनहार
वही तो कल का सुपर स्टार
शिक्षक का भी है ,स्वार्थ ।
शिक्षक सदा बच्चों को देखता
ढलते, बदलते ,लड़ते ,झगड़ते
रूठते फिर मन जाते, आगे बढ़ते
सीना चौड़ा रहता, देख आगे बढ़ते।
जमाना बदल रहा है,सब के लिये
गुरु जी की छवि कुर्ता पायजामा
टोपी चश्मा छड़ी ,कंधे पर झोला
होती थी पहचान, समय बदला
पेंट शर्ट जीन्स चश्मा मोबाइल
अपनो मित्रों सा कुशल व्यवहार
अब ऐसा है, शिक्षक होनहार।
रूप रंग ढंग अंदाज़ बदला
रहने चलने खाने का अंदाज बदला
नही बदला बच्चों को ,नया सीखने
बताने ,कराने आगे बढाने की चाह
उनको प्रणाम ,उनको प्रणाम।