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भगत सिंह

भगत सिंह

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वीरों की गाथाओं में उसने सुनहरा अक्षर गढ़ डाला

माँ की लाज बचाने उसने सर्वस्व कुर्बान कर डाला।


नई दिशा के मोड़ पर उसके कतरे-2से वन्दन होगा

माँ भारती के ललाट पर तुम्हारा ही अभिनंदन होगा।


वो चौड़ी छाती करके सीना ताने स्वंय ही खड़ा रहा

अंग्रेजो को मार भगाने खातिर खुद आगे लड़ा रहा।


छोटी सी उम्र में जलियाँवाला कांड न भूला भाला था

उस समय में तो अंग्रेजी हुकूमत का ही बोलबाला था।


वो न तो चुप था और न ही चुप बैठने वालों में से था

वो भगत था इंकलाब की ज्वाला पैदा करने वाला था।


साण्डर्स की हत्या कर अंग्रेजो को बड़ा झटका दिया

अंग्रेजी शासन जगाने हेतु संसद में बम धमाका किया।


इंकबाल का नारा बोले वो हरदम आंहे भरा करता था

हँसते हँसते देश की वो खातिर फाँसी चूंमा करता था।


छोड गया वो दुनिया को आजादी के अधूरे बन्धन में

भारत माँ भी बिलख-2 रोयी होगी तुम्हारे ही क्रंदन में।


जैसा तुमने सोचा था वैसी हमने कभी न आजादी पाई

भारत माता की कोख कुछ दुष्टों ने बार-बार है दुहाई।


देश का बंटवारा कर दिया जिन्ना नेहरु की परिपाटी ने

हिंदू-मुस्लिम में बंटवा दिया देश को इनकी ही ठाटी ने।


आज तक यही बंटवारा हम सभी को बड़ा सताता है

सीमाओं पर तैनात सैनिक मौत से हर दम लड़ता है।


जब जब सोचूं तुम्हारे बारें में रोना हर बार आ जाता है

क्या करे ऐ भगत सिंह हिन्दुस्तान तुझे फिर माँगता है।


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