भारत अखंड राष्ट्र
भारत अखंड राष्ट्र
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भारत भूमि भाग्य विधाता भारत ही है अपना ही
मातृ की ख़ातिर रक्षा करने देश धर्म है अपना ही
खून से लथ-पथ सनी हुई है कश्मीर की घाटी है
रक्त से सिंचकर पुण्य हुई ये भारत की माँ माटी है
लड़ते-लड़ते प्राण गंवाए ये देश प्रेम है अपना ही
भारत भूमि भाग्य विधाता
माँ मिट्टी का करते वन्दन करते है अभिनन्दन हम
तीन रंग का करते आदर करते शत-शत वन्दन हम
हँसते -हँसते फाँसी झूले गाया वन्देमातरम अपना ही
भारत भूमि भाग्य विधाता
भारत को अब गौरवशाली बलशाली ही बनाना है
द्वेष से ऊपर उठकर हमको ही राष्ट्र प्रेम जगाना है
होते सोते सबकुछ त्यागा ये देश भाव है अपना ही
भारत भूमि भाग्य विधाता
भारत फिर बने विश्वगुरु यह संकल्प हमें दोहराना है
देश के ख़ातिर सबकुछ करने माँ का कर्ज चुकाना है
बढ़ते-बढ़ते आज़ादी पायी यह राष्ट्रभाव है अपना ही
भारत भूमि भाग्य विधाता