कुछ भीड इकट्ठी करने से
बस फ़कत हाज़िरी भरने से
बिल्ली के देख अकड़ने से
दो चाँटें गाल पे जड़ने से
अब जंग नहीं जीती जाती।
जो दुष्टों का सम्मान करे
जो खुद पर ही अभिमान करे
जो जात-पात का भाव रखे
जो तलुवों नीचे गाँव रखे
इन गद्दारों के लड़ने से
अब जंग नही जीती जाती।
जो सौ टुकड़ों में बँटे हुए
बदमाश है सारे छटे हुए
रिश्वत खोरों से मेल रहे
जब राजनीति बस खेल रहे
यूँ झूठ मूट के मरने से
अब जंग नहीं जीती जाती।
जब नेता में मक्कारी हो
जब हर दिल में अय्यारी हो
जो सच को मान नही सकते
वो झूठ को जान नहीं सकते
बस जिद पर केवल अड़ने से
अब जंग नहीं जीती जाती।
जब रोज दिखावा होता हो
जब नेता झूठा रोता हो
उसकी फरियाद सुने कैसे
झूठे को और सहे कैसे
फिर बेमतलब के धरने से
अब जंग नही जीती जाती।
बेटी पर बात करो मुझसे
रोटी पर बात करो मुझसे
जो देरी से घर आती है
उसकी इज्जत लुट जाती है
ऐसी लड़की के डरने से
अब जंग नही जीती जाती ।
गुरबत का रोज तमाशा हो
न सब्जी़ हो न आटा हो
जब बच्चा भूखा सोता हो
माँ का दिल जब रोता हो
तब जिस्म को गिरवी रखने से
अब जंग नही जीती जाती।
जब लड़की दुल्हन बनती हो
और गिरवी सारी धरती हो
जब बाप की पगड़ी नीचे हो
और दुनियाँ आँखें मीचे हो
दुल्हन के देख बिलखने से
अब जंग नही जीती जाती।
अब फूलन तो बनना होगा
अब सुन्दर को जगना होगा
भगत सिहं तुम आ जाओ
अब दुश्मन पर छा जाओ
गाँधी की राह पे चलने से
अब जंग नहीं जीती जाती।
अब कलम छोड बन्दूक उठा
बारूद की ये सन्दूक उठा
अब भून डाल गद्दारों को
तू बतला दे सरकारों को
ये कैडंल मार्च निकलने से
अब जंग नहीं जीती जाती।
अब जंग नहीं जीती जाती।
अब जंग नहीं जीती जाती।