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मेरे अल्फाज़

मेरे अल्फाज़

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मेरे अल्फाज़ पीछा कर रहे हैं

तभी सब लोग ऐसा कर रहे हैं।

किसी से अब मुझे शिकवा नहीं है

कि वो जैसे हैं वैसा कर रहे हैं।

सभी चुपचाप बैठे हैं मगर हम

बिना सोचे तमाशा कर रहे हैं।

चलो गैरों से गम को बांटले हम

यहां अपने तो धोखा कर रहे हैं।

बदलना ही नहीं फितरत में उसके

हमीं किरदार छोटा कर रहे हैं।

करे ना कोई क्यों उससे शिकायत

कि वो फिर एक वादा कर रहे हैं।

मुकर जाता है अपनी बात से वो

हमीं उसपे भरोसा कर रहे हैं।


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