Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Kajal Sahajani

Drama

2  

Kajal Sahajani

Drama

खोया सुकून

खोया सुकून

1 min
392


आज माँ का कॉल आया,

मैंने न हाल-चाल पूछा बस यह कहा-

"मुझे घर आना है,

नहीं रहना यहाँ।"


फूट-फुट कर रोई मैं वहाँ

माँ तो माँ होती है, वो बोली,

"बेटा आजा घर, यहाँ पढ़ लेगें,

रो मत बेटा पापा सब करवा देंगे।"


फिर बड़े प्यार से समझाया,

"जो सपने हैं तुम्हारे, हमारे उनका क्या,

हमें भी आती हैं याद तुम्हारी

हमने भी यह सहा।"


खत्म हुआ कॉल याद आए कुछ

पुराने शब्द जो कभी कहे थे,

"एक बार जाने दो बस घर से,

नहीं आऊँगी फिर घर।"


शायद आज न चाहते हुए भी

हो रहा था सब सच

तरस गई है आँखें घर जाने के लिए

वो माँ का प्यार, पापा के साथ मस्ती,

वो सुकून पाने के लिए।


फिर खबर आती हैं पापा ठीक नहीं है

लगा सब छोड़ जाऊँ पापा के पास

ले लूँ सारी जिम्मेदारियाँ अपने साथ

पर उनका भी तो सपना था,


मुझे कुछ बड़ा बनते देखना

बेटी को आसमान छूते देखना।

खुद को समझाया मेहनत करो बेटा

कुछ बड़ा बनना है,


खुद का न सही माँ-पापा का सपना

पूरा करना है।


Rate this content
Log in

More hindi poem from Kajal Sahajani

Similar hindi poem from Drama