आज भी हैं
आज भी हैं
कभी साथ घुमा करते थे
उन्ही रास्तों में भटकते अकेले हम आज भी हैं ...
देर तक राह तकते थे
उन्ही गलियों से गुजरते हम आज भी हैं..
यादों की किताब लिखने निकले थे
पन्नोें पर आपकी छवि में मगरूर हम आज भी हैं ..
सपनो में भी आपकी तलाश करते थे
हकीकत में अपनों से दूर हम आज भी हैं ..
कानो में गूंजते वो आपके लफ्ज़ थे
मिठास वही सुनने को बेक़रार हम आज भी हैं ..
चोरी चोरी मिलके वादे किया करते थे
वादे निभानेवाले को मगर ढूंढ़ते हम आज भी हैं ..