तुझे अब चलना होगा
तुझे अब चलना होगा
उठ खड़ा हो जा तुझे अब चलना होगा
संसार की बिगड़ी सूरत को बदलना होगा ||धृ.||
मज़लूमों पर ज़ुल्म जो ढाते, कायर हैं वे सारे
तेरी शक्ति से तू उनको दिन में दिखा दे तारे
अत्याचार के सूरज को अब ढलना होगा ||1||
सच्चाई की ताकत से पहचान करा दे
टूटे हुओं के पुरे सब अरमान करा दे
मानवता के दुश्मनों से सम्भलना होगा ||2||
दुनियावाले हिम्मत तेरी देखते ही रह जाएंगे
स्वार्थ के सारे पुतले, पलभर में ढह जाएंगे
तेरे क्रोध की आग में उन्हें जलना होगा ||3||
अक्लमंद को नुमाइश ए इल्म की चोरी है
बेवकूफों के हाथों में सत्ता की डोरी है
कहर बरसाकर उनको अब छलना होगा ||4||
आस लगाए बैठे है तेरी ओर ही सारे
चल गगन को छू ले अब अपने पंख पसारे
गुमनामी के अंधियारों से निकलना होगा ||5||