परछाईं से सबक
परछाईं से सबक
अतीत की परछाईं...
आज दामन का साथ नहीं छोड़ती,
टूटी सिसकियाँ,
दर्द का अहसास नहीं छोड़ती,
पैरों में पड़ी बेड़ियाँ,
रास्ता मंज़िल का रोकती...
अब...
अतीत की परछाईं को,
आज के चेहरे से मिलाना होगा,
जो बीत चुका है वक्त,
उसको हमें भुलाना होगा,
आगे बढ़ने की ख़्वाहिश लिए,
दो कदम तो आगे आना होगा...
तब...
अतीत और आज के संगम में,
नए भविष्य को बनाना होगा,
परछाइयों की ग़लती से,
नया सबक बनाना होगा,
आज और कल के स्वागत में,
अतीत को सुनहरा बनाना होगा....