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Priyanka Gupta

Romance

4  

Priyanka Gupta

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तुम्हारे जैसे तुम,मेरे जैसी मैं

तुम्हारे जैसे तुम,मेरे जैसी मैं

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तुमको देखा तो ये ख्याल आया की धुन पर......................


तपती रेत को ठंडक का एहसास दिलाकर उसी में खो जाने वाली पहली बारिश सी हूँ मैं ।

पत्तियों को प्यार से सहलाकर फिसल जाने वाली ओस की बूंदों से हो तुम।।


पहाड़ों से निकलकर ,इठलाती, इतराती सागर में जाकर मिल जाने वाली नदी सी हूँ मैं।

लहरें छूकर जिसे गुजरे ,बीच सागर में निर्विकार ,तटस्थ ,उदासीन,अचल द्वीप से हो तुम।।


आँखों में हमेशा सुख दुःख के साथ रहने वाली आंसूओं सी हूँ मैं ।

आँखों में रहकर सुबह होते ही नष्ट हो जाने वाले स्वपन से हो तुम ।।


हाथों में चमकने वाली सदा साथ ही रहने वाली लकीरों सी हूँ मैं ।

हाथों में न रुकने वाली फिसलती रेत से हो तुम ।।


मेरे साथ मेरी सी, तुम्हारे साथ तुम्हारी सी हो जाने वाली हूँ मैं ।

अपने साथ अपने से ,मेरे साथ तुम्हारे से हो जाने वाले हो तुम ।।


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