रक्षाबंधन
रक्षाबंधन
कुछ दुआओं की रोली ,
खुशिओं के चावल
प्यार के मोतिओं से
पिरोकर एक डोरी
भेजी है बहिना ने
राखी मेरे नाम की ...
कुछ ज़ज्बात
हमारे इस बंधन के
कुछ यादें हमारे
उस बचपन की लेकर
आई हैं राखी
तेरे नाम की बहना
आज परदेस बैठी मेरी बहन
मेरी राह देखा करती है
अपने बचपन के
पल याद कर बस
मुस्कुरा दिया करती हैं
फिर आँखों से लगा ,
चूमकर राखी भेज दिया
करती हैं
जानती है मैं हूँ अपनी
दुनिया में मस्त
ओर बहने भी हैं अपनी
छोटी से बगिया में व्यस्त
बंद लिफाफे में समेट कर
प्यार भेज दिया करती है
क्या हुआ जो
मुझसे तुम दूर हो ,
पर आँखों का नूर हो
तुम जिओ हजारो साल ,
पाओ ज़िन्दगी में हर मुकाम
ये दुआ है इस भाई की
तुम मुस्कुराओ सुबह शाम