हम तुम दोनों
हम तुम दोनों
हम तुम दोनों नदी किनारे
बैठ देखते जल के धारे
नीचे धरती ऊपर अम्बर
चाह मिलन की लिए पुकारे।
हम तुम दोनों............।
जल में नभ की छाया देखी
नील गगन की आभा देखी
मूर्त चाँद का नर्तन देखा
देखे झिलमिल चाँद सितारे।
हम तुम दोनों...............।
एक दूजे के बाहों में सोये
सपनों की दुनिया में खोये
हाथों में हाथ लिए घूमे
देखे स्वपन नयन रतनारे।
हम तुम दोनों...................।
घने कुंज की छाया में
मन भरमाती माया में
रहे नापते तट की रेखा
खुले मन के अवगुंठन सारे।
हम तुम दोनों....................।
उषा किरण की लाली से
दो अधरों की प्याली से
प्रेम सुधा रस पान किया
भींगे तन मन सारे।
हम तुम दोनों.................।
इस दुनिया की रीत नई है
हम दोनों की प्रीत नई है
साथ चले हैं, साथ चलेंगे
चंदा सूरज जैसे तारे।
हम तुम दोनों.........................।